कुछ अलग करें
कुछ अलग करें
कुछ अलग करें, महामारी कम सताएगी
शारिरिक तौर पर हम सजग रहें
आत्ममंथन से स्वछ अपनी आत्मा करें
फिर अपनी दुनिया में हम प्रबल रहें
वक़्त है हम पास आ सकते नही
पर दिल के तार तुम मत तोड़ो
अरे भई, फ़ोन उठाओ दो बातें करलो
मन की तरंगों को नया मोड़ दो
आज की टेक्नोलॉजी है एक नियामत
इस कहर में है सब रिश्तों से सगी
अरे व्हाट्सएप खोलो,खुलकर बोलो
कौन कहता है कि बीच की है दूरी
एक साथ जो मिलकर हंसना हो
अपने सगे संबंधियों के संग
गूगल या ज़ूम मीट बुक करलो
कोरोना दानव भी हो जाएगा दंग
थोड़ा फेसबुक को भी खंगालो
औरों की गतिविधियों का आनंद लो
मन को थोड़ा और मचलने दो
कुछ घर के अंदर रंगीनियां लाओ
इंस्टाग्राम, ट्विटर के क्या कहने
बड़े बड़े दुरंधर भी इससे झुडे है
उनकी गतिविधियों पर ठहाके लगाओ
खिला दो मन के बाग जो उझडे है
यह वक़्त कभी फिर आएगा नही
घर वालों संग खूब गप्पे लगाओ
वातावरण को खुशियों से भर दो
एक दूजे के प्यार में डुबकी लगाओ
अरे अपने दूर कहाँ होते हैं
जब दिल से दिल झुडे होते हैं
इस आंधी में बिखर न जाना
दैवीय नियम कभी कभी कड़े होते हैं
यह वक़्त भी ज़्यादा देर टिकेगा नही
चलो इस वक़्त को हंस कर झेल लें
कलयुग आंख मिचौली खेल रहा है
पूरी श्रद्धा से उनसे हम यह खेल खेल लें.......
