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ramsingh rajput

Abstract Drama

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ramsingh rajput

Abstract Drama

पिता की कहानी बेटी की जुबानी

पिता की कहानी बेटी की जुबानी

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छोटे शहर को छोड़, 

मैं बड़े शहर आ गई, 

मैं सपनों को बुनने, 

सपनों के शहर आ गई। 


मुश्किल है अकेले, 

पूरे दिन को बिताना, 

और मुश्किल है, 

घर के फोन पर आंसुओं को छुपाना ! 


मेरी घर पर रोज बात हो जाया करती है, 

मां फोन पर घंटों बिताया करती है, 

एक आवाज़ बीच में अक्सर सुनाती है, 

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color: rgb(255, 255, 255);">मैं और सुनना चाहती हूं, 

बात पलट, माँ कुछ और सुनाती है। 


शायद दूर खड़े सब सुन रहे होते हैं, 

पापा हे मेरे अनगिनत प्यार लिए होते हैं। 

कभी-कभी मेरी उनसे बात हो जाया करती है, 

बहुत थोड़ी सी ही लेकिन दिल को छू जाया करती है ! 


वे लाख बातें कहना चाहते थे, 

शायद,सब सिखाना चाहते थे। 

धीरे-धीरे उनकी आवाज दबने लगी, 

शायद आंसुओं में बह गया, 

जो प्यार जताना चाहते थे।


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