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Shivanand Chaubey

Tragedy

3  

Shivanand Chaubey

Tragedy

फिर भी मैं पराई हूं।

फिर भी मैं पराई हूं।

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मां हूं बहन हूं बेटी हूं 

पत्नी की रीत निभाई हूं,

वेदों ने महिमा है गायी हैं 

फिर भी मैं हुई पराई हूं।


औरत होने का इस दुनिया

मैं कर्ज चुकाती हूं,

सब जुल्म सहुं कुछ भी न कहूं

निज सर को झुकाती हूं,

अपने अस्तित्व के खातिर मैं

सदियों से लड़ी लड़ाई हूं।


गंगाजल सी मैं पावन हूं 

स्नेह भाव करुणा को लिए,

वात्सल्य ममता की मूरत

श्रद्धा भाव संजोए उर में,

लूटा है हमें हर रिश्ते ने

हर युग में गई सताई हूं।


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