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Yogeshwari Arya

Abstract Action Inspirational

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Yogeshwari Arya

Abstract Action Inspirational

फौजी बनूँगा

फौजी बनूँगा

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देखो ना

कितना बड़ा हो गया है, वो

मुझसे कहता हैं,

माँ! मैं फौज में जाऊँगा 

मेजर अभिनंदन की तरह

सीक्रेट मिशन चलाऊँगा

दुश्मनों को मार गिराऊँगा।

तुझे और अपनी भारत माँ

को बचाऊँगा ।


देश के उस छोड़ पे

खड़ा रहूँगा जहाँ सीमाएँ

ख्याली हो जाती हैं,

बर्फ का चादर ओढ़े

जमीनें एक रंगी सफेद 

हो जाती है।

हाथों में राइफल लिए

मैं खड़ा रहूँगा वहाँ।

दूँगा मैं पहरेदारी


जब भारत का एक-एक आदमी 

खोएगा नींद की आगोश में

मैं रहूँगा वहाँ अकेले

इस होश में,

कि मेरे देश की बड़ी सुरक्षा

हैं इस फौजी के कंधे पे।

कड़कड़ाती ठंड में

बर्फीली तूफान में

सुन्न कर देने वाली मौन में


मैं रहूँगा खड़ा पूरे उम्मीद में

की मैं एक फौजी

भारत माँ का लाल

खड़ा है माँ से पहले

माँ को बचाने।


सुन माँ,

तू चिंता मत करना

जब सूरज की पहली किरण

करेगी मेरा नमन

तो मैं जी उठूँगा

फिर पूरे जोश से।


और माँ,

जब कभी मैं आऊँ

तिरंगे में लिपटे

तब तू रोना मत

तू हँसना माँ … हँसना

बिल्कुल वैसी ही हँसी

बिल्कुल वैसी ही मुस्कुराहत

जैसी दी थी तूने

मुझसे पहली बार मिलने के समय


झूम -झूम के कहना

बैंड - बाजे के साथ कहना

माइक में ज़ोर से कहना

मेरा बेटा ... अमर हो गया !

मेरा बेटा ... अमर हो गया ! 

माँ धरती के गोद में सो गया

मेरा बेटा सफल हो गया ।

         



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