मेरे महबूब
मेरे महबूब
लोग कहते हैं मेरी
मेहबूबा को खुदा ने चांद सा तराशा है
अरे
मेरे महबूब को खुदा ने
खुद सा तराशा है
आंखे समुद्र से भी गहरी
होठ बादल से भी मुलयाम
और उस पे अाई मुस्कान
शांत समुद्र में उफनते लहरों के जैसी
रोमांचित तथा अत्ती मनमोहक।
नज़रे ऐसी की देख भर ले तो
गला सूख जाए
धड़कन रुक जाए
और मन तार तार हो जाए
खुदा ने क्या खूब तराशा मेरे महबूब को
समुद्र से निकली मोती से भी चमकीला
उफनती लहरों से भी मनमोहक
उगते सूरज से भी सुंदर
ढलते साम से भी खूबसरत
खुद का ही रूप
इंसानी रूप
बिखेरा है खुदा ने।

