आवारा बंछरा
आवारा बंछरा
कल तक मैं सबका दुलारा था
और आज मैं आवारा हूं।
कल तक मां थी
मां का साथ था, मां का दूध था
और आज मैं आनथ हूं।
कल तक घास थी, चोकर था, दाना था
और आज कचरे के ढेर में बासी चावल भी नहीं।
कल तक माथे पे टीन का छत था,
साथ में ईट की दीवार थी
और आज सूरज की ताप
मौसम की मार, और सितारों का आसमां।
कल तक मालिक थे
और आज मैं एक आवारा बछड़ा हूं, क्यों…