जिंदगी एक अल्बतरॉस
जिंदगी एक अल्बतरॉस
जिंदगी उस अल्बतरॉस की तरह है
जो मारिनर के जहाज पर आया करती थी।
यहां हम मारिनर है
और जिंदगी अल्बतरॉस।
जिसपे जाने - अनजाने हम कितने ही बार
तीर चलाते हैं
कभी दुख के, कभी गुस्से के
कभी जलन के, तो कभी आत्महत्या के
और वो उसे लेती है
न कुछ कहे, न कुछ सुने
हमें ताउम्र अफसोस - ए - गम
कि समुद्र में छोर चली जाती है।