पहाड़ों में कैद एक रूह
पहाड़ों में कैद एक रूह
चलो दिलदार चलो
पहाड़ी के पार चलो
बहुत खूबसूरत नजारा है
कुदरत ने धरती पर उतारा है
कितनी सुहानी शाम है
कुदरत का अनमोल खजाना है
हसीन वादियां इनका नाम है ।।
जिंदगी यहां बसती है
खुशियां यहां हंसती हैं
तबीयत प्रसन्न हो गई है
ख्वाहिशें यहीं कैद हो गई है
लौटने का मन नहीं करता
ये दिल कभी नहीं भरता ।।
मेरी तो सारी दुनिया तुम ही हो
मेरे प्रियतम, सैंया सब तुम ही हो
तुम्हारे कांधे पे सिर रखने दो
कुछ हसीन ख्वाब सजने दो ।।
तुम्हारा व्यक्तित्व पहाड़ जैसा है
और मैं एक हसीन घाटी जैसी
बस तुम्हीं में कैद रहना चाहती हूं
इन पहाड़ों पर कैद हो रूह जैसी ।।