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Vijay Kumar parashar "साखी"

Tragedy Inspirational

4.5  

Vijay Kumar parashar "साखी"

Tragedy Inspirational

"पेड़ पर पेड़ काट रहे"

"पेड़ पर पेड़ काट रहे"

1 min
443


हम लोग काट रहे है,पेड़ पर पेड़

फिर कह रहे,हवा में घुला है,जहर


जनसंख्या के बढ़ा रहे,हम लोग

स्वार्थ के खातिर शहर पर शहर


फिर कैसे बचेंगे,जंगल के शज़र

यदि पेड़ काटते रहे,हम यूँ सदर


पेड़ काटने पर है,सबकी नजर

सब चाहते है,ऊंची इमारत घर


पर प्रकृति से छेड़छाड़ ज्यादातर

देगी कोरोना वायरस,जैसे कहर


शुद्ध हवा की कमी होगी इस कदर

फिर मरेंगे लाखो पेड़ हत्यारे शहर


जंगल काटने से लाखों जानवर

हमारी वजह से हो गये है,बेघर


उनकी बद्दुओं का हुआ है,असर

कोविड़ की बीमारी आई घर-घर


हमलोग जीते जी सुधर जाये गर

5 पेड़ लगाने का संकल्प ले,सुंदर


साथ न जायेगा,लकड़ी का भार,

आदमी जलकर भी रहेगा अमर


विश्नोई समाज को बना ले,आदर्श

पेड़ की रक्षा करे जान समझकर


फिर बनेगी यह धरा सुंदर से सुंदर

यदि हम देखभाल करेंगे,हर शज़र


पर्यावरण से मिलती जीवन ज्योति

पर्यावरण बगैर अधूरी जीवन लहर


बढ़ती जनसंख्या के काटे,गर पर

तब हंसेंगे वृक्ष,पर्यावरण मन भर


सब लोग त्याग दे,स्वार्थ यह मणभर

पेड़ लगाये,खिले पर्यावरण हर शहर


प्रकृति से मिटती है,मनु बीमारी,हर

प्रकृति रब का दिया है,निःस्वार्थ कर।



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