पैसों के रिश्ते
पैसों के रिश्ते


वो रिश्ते बचाता था,
पैसे नहीं बचते थे।
उन पैसों से ही तो,
वो रिश्ते बचाता था
अनजान था इस बात से कि,
जो पैसे से बनते हैं
वो रिश्ते नहीं बचते हैं
वो रिश्ते बचाता था,
पैसे नहीं बचते थे।
पैसे की तिजोरी में,
नियत का डाका था
थी भली या बुरी,
किसने निभाना था
वो रिश्ते निभाता था,
पैसे नहीं बचते थे।
जाने क्यों बचाता था
जो कभी ना बचने थे
वो दिल से निभाता था
सब दिमाग़ से चलते थे
क्यों दिल से निभाता था
जब सभी छलते थे
वो रिश्ते बचाता था,
पैसे नहीं बचते थे।
आँखों में आँसू आये तो,
क्या दिल की बीमारी है
आज इसकी कल उसकी,
छलने की बारी है
वो इंसान बन आया धरती पर,
भगवान सा दिल लेकर
अंजान है क्या इस बात से
कि पैसा रिश्ते से भारी है
वो रिश्ते बचाता था,
पैसे नहीं बचते थे।