पैसा
पैसा


दो अक्षर का शब्द है पैसा,
जादू नहीं कोई इसके जैसा।
बूढ़े,बच्चे या हों जवान
सबकी जुबां पर एक ही नाम।
हाय पैसा! हाय पैसा!
नशा नहीं दूजा कोई ऐसा।
मिले कहीं से भी, पर पा लो,
रिश्तों की चाहे भेंट चढ़ा लो।
पैसे से सब काम बनते हैं
ये जन्नत भी दिलवाता है।
इससे दोस्ती,इससे यारी
इसकी दुनिया सबसे न्यारी।
पैसे के चक्कर में पड़कर
वो भूल गए दिल की बातें।
इसकी खरीद फरोख्त में वो
जज्बातों को दफना आए।
बिस्तर खरीदा ये नर्म नर्म
पर नींद कहां ये चली गई?
छप्पन भोगों को चखा मैंने
पर सूखी रोटी का स्वाद निगल गई।
पैसा होना जरूरी तो है
पर पैसा सब कुछ कहां होता है?
पैसे के लिए जिन्हें भूल गए
उनकी याद में फिर क्यों रोता है।
जिंदगी में पैसे के साथ साथ
प्यार भी चाहिए होता है।
जो उस दौलत से महरूम है तू
तो सब पाकर भी,सब खोता है।