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Khatu Shyam

Romance Tragedy Fantasy

4  

Khatu Shyam

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पाया नहीं और खोने से डरती हूं

पाया नहीं और खोने से डरती हूं

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पाया नहीं तुझे फिर भी खोने से डरती हूं।


मुस्कुराए भी तुझे सोच और तेरी याद में रोने से डरती हूं,

दुनिया के सवालों से नहीं सिर्फ एक तेरे इनकार से डरती हूं।


पाया नहीं तुझे फिर भी खोने से डरती हूं।


बाते भी नहीं की तुझसे दिल की तो फिर भी क्यों तेरी आने वाली खामोशी से डरती हूं,

तुझे दूर सोचकर खुद के टूटने से डरती हूं।


पाया नहीं तुझे फिर भी खोने से डरती हूं।


दास्तान इश्क़ की हमारे शुरु भी नहीं हुई यूं फिर क्यों उसके अधूरे होने से डरती हूं,

ख्वाब सा हैं तू ,तू दूर ना जाये इसलिए आंखें खोलने से भी डरती हूं।


पाया नहीं तुझे फिर भी खोने से डरती हूं


तू ही दिल में बसता हैं कैसे कहूं सरे आम कि छीन ले तुझको मुझसे कोई उस एक पल से डरती हूं,

 मौत मिली नहीं यूं तो इस जिस्म को जुदा होकर जीते जी मिलने वाली उस मौत से डरती हूं।


पाया नहीं तुझे फिर भी खोने से डरती हूं।


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