ओस पानी में घुल गया
ओस पानी में घुल गया
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जिन्दगी की खोज में हम
निकले कफन को ओढ़
रास्तों दर रास्तों पर फिर
मुझे ऐसा मंजर मिला
तसव्वुर में ढूंढना तो
मुश्किल था मेरे लिए
अपनी साँसों की
हर आहट भी वो
ले कर गया अपने साथ
आज वर्षों बाद वो
रौशन हुआ इस तरह से
निकला हो चाँद बनकर
आज उनकी नजरों में
समंदर का सैलाब था
वो भी उठते हुये
फिर समंदर में जा मिला
चलते चलते जो उभरी थी
एक पुरानी दास्ताँ
दुनिया की भीड़ में जैसे
ओस पानी में घुल गया