STORYMIRROR

Kanchan Prabha

Tragedy

3  

Kanchan Prabha

Tragedy

ओस पानी में घुल गया

ओस पानी में घुल गया

1 min
284

जिन्दगी की खोज में हम

निकले कफन को ओढ़ 

रास्तों दर रास्तों पर फिर

मुझे ऐसा मंजर मिला

तसव्वुर में ढूंढना तो

मुश्किल था मेरे लिए 

अपनी साँसों की

हर आहट भी वो

ले कर गया अपने साथ


आज वर्षों बाद वो

रौशन हुआ इस तरह से

निकला हो चाँद बनकर 

आज उनकी नजरों में 

समंदर का सैलाब था

वो भी उठते हुये

फिर समंदर में जा मिला

चलते चलते जो उभरी थी

एक पुरानी दास्ताँ

दुनिया की भीड़ में जैसे

ओस पानी में घुल गया


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy