Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Renu Sahu

Drama Classics Inspirational

4  

Renu Sahu

Drama Classics Inspirational

नवरात्री डायरी……. अष्टमी (गुलाबी)

नवरात्री डायरी……. अष्टमी (गुलाबी)

1 min
370


अष्टवर्षा! भवेद हे गौरी,

रूप सुहावन उपमा तेरी।

वस्त्र आभूषण सभी श्वेत है,

सुंदरता भवानी अद्वैत है॥


चार भुजा है वृषभ सवारी,

अभयमुद्रा त्रिशूल धारी।

एक हाथ में डमरू लीन्हा,

दूजे हाथ से वर माँ दीन्हा॥


शांत मुद्रा माँ मोहनी डारे,

माँ शाकम्भरी गौरी बन अवतारे।

हिम श्रृंखला में वास् है तेरा,

कांति तेरी खींचे मन मेरा॥


वर्षो तप कठोर की तूने,

शिव को आराध्य माँगा तुम्हीने।

तेरी छटा चांदनी जैसी,

गौर वर्ण का वर शिव दीन्हि॥


एक कथा ये भी है कहती,

भूखे सिंह ने प्रतीक्षा की थी।

दया दिखाई दयामयी माता,

वृषभ सवारी सिंह भी साधा॥


रंग गुलाबी, शुद्ध और पावन,

स्त्रीत्व सूचक, शांति वाचक।

इससे बुद्धि ज्ञान है जिससे,

सत शिव की पहचान है जिससे॥


सुहागन चुनरी भेट चढ़ाए,

सौभाग्यवती का वर है पाए।

तेरी भक्ति कष्ट निवारे,

अवर्जनकाज सभी सवारे॥


कन्या पूजन भक्तगण करते,

नौ कन्या की पूजा करते।

पूड़ी हलवा भोग लगाए,

व्रत खोले सब मंगल गाए॥


विष व्याधि माँ दूर है करती,

सुख समृद्धि घर में भरती।

अभय रूप सौंदर्य दे माता,

मनोवांछित फल देती माया॥


सौंदर्य की देवी मृदुल स्वरूपा,

गौर वर्ण चंद कुंद सा उजला।

तप कठोर ने ओज बढ़ाया,

शक्ति ऐश्वर्य, सब तुमसे पाया॥


असत मिटा के सत पाए, करे जो तेरा ध्यान।

हे महागौरी ! अष्ट नवदुर्गा, कोटि कोटि प्रणाम॥ 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama