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दयाल शरण

Drama Inspirational

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दयाल शरण

Drama Inspirational

नव वर्ष

नव वर्ष

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सर्द रात में

घोर निशा ने

तिलक लगा दी

भाल पे।


कल का सब

इतिहास हुआ

अब जो होगा

इस नव साल में।


गीत भी हो

संगीत भी हो

दुःख सुख साँझे

इस साल में।


घर घर

खुशहाली हो

ज्ञान की

अलख जले

हर मन भाव में।


धरा हरी हो

कल कल सुर हो

नदी की निश्छल

धार में।


पक्षी की कलरव

त्यौहारों का उत्सव

जग में

भारत का मंगल

गान रहे।


सीमा के हर प्रहरी

तुम भारत माता की

शान रहो।


सीमा के भीतर

हर माँ बहनें

निर्भय हो।


भय निष्प्राण रहे

जीत प्रजा की हो

हारे कपटी नवयुग में

देश का नव उद्धार रहे।


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