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Mukesh Kumar Goel

Drama

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Mukesh Kumar Goel

Drama

कमाई!

कमाई!

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एक बूढ़े का अक्स

आजकल

उभरने लगा है,

दर्पण में।

धवल हो चली दाढ़ी

धवल हो चले केश

क्या ये मैं ही हूँ?

कितनी दूर चला आया हूँ मैं,

ज़िंदगी की इस लम्बी यात्रा में,

जब देखता हूँ,

मुड़कर पीछे की ओर,

कितना कुछ छूट गया है,

सिर्फ़ है तो बस

यादें!

यादें बचपन की,

यादें मित्रों की,

यादें तुम्हारी,

अब सिर्फ़ यही है मेरी ज़िंदगी की कमाई।



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