STORYMIRROR

Supriya Devkar

Abstract Drama

3  

Supriya Devkar

Abstract Drama

मन की हालत

मन की हालत

1 min
186

मन की हालत है ऐसी 

के गुस्सा कम होता ही नहीं 

तलवार की नोक पर रहता 

हँसने का नाम लेता ही नहीं 

रंग बदलती दुनिया के 

देखे है कितने नये ढंग 

फिर भी अपनो के साथ 

जिते है जीवन के विविध अंग

हर मोड़ पर नये सपने 

आते है रोज सामने 

हम भी दौड़ लगाते 

उन पन्नों को थामने 

कुछ हासिल हो जाए 

इम्तहान अभी बाकी है 

नतीजा जो भी आए 

एक हंसी अभी बाकी है



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract