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Supriya Devkar

Abstract Drama

3  

Supriya Devkar

Abstract Drama

मन की हालत

मन की हालत

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मन की हालत है ऐसी 

के गुस्सा कम होता ही नहीं 

तलवार की नोक पर रहता 

हँसने का नाम लेता ही नहीं 

रंग बदलती दुनिया के 

देखे है कितने नये ढंग 

फिर भी अपनो के साथ 

जिते है जीवन के विविध अंग

हर मोड़ पर नये सपने 

आते है रोज सामने 

हम भी दौड़ लगाते 

उन पन्नों को थामने 

कुछ हासिल हो जाए 

इम्तहान अभी बाकी है 

नतीजा जो भी आए 

एक हंसी अभी बाकी है



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