काहे सतावो मोहे श्याम
काहे सतावो मोहे श्याम
काहे सतावो मोहे श्याम।
अब न तड़पावो मोहे श्याम।.....
दधी बेचन मैं मथुरा जावत,
ग्वाल को ले के आड़ो ही आवत।
मांगत मों से दान,.....
काहे सतावो मोहे श्याम।.....
पनीया भरन मैं पनघट जावत,
कंकरी मार के मटूकीया फोड़त।
मुझे देख भागत श्याम.....
काहे सतावो मोहे श्याम।.....
घर के काम में जब मन लगावत,
मुरली बजावत चैन चुरावत।
बावरी बनावत श्याम.......,
काहे सतावो मोहे श्याम।....
श्याम मैं तेरी प्रेम दीवानी,
जनमो जनम की दासी तिहारी।
सून ले ओ "मुरली" वाले श्याम...
अब न तड़पावो मोहे श्याम।
काहे सतावो मोहे श्याम।.....
यह रचना मेरे इष्ट देव श्री कृष्ण प्रभु को समर्पित करता हूँ।