अदालत ईश्क की ============
अदालत ईश्क की ============
इश्क की अदालत में आया हूँ,
कठहरे में आकर खड़ा हुआ हूँ,
कर ले फ़रियाद करना चाहे तू,
बयान करूंगा तेरे इश्क का मैं।
इश्क का कसूरवार बन के आया हूँ,
गलत आरोप से फंसा हुआ हूँ,
लगा ले आरोप जितना चाहे तू ,
इश्क का गुनाह कबूल करूंगा मैं।
दिल से तुझ को इश्क करता हूँ
सज़ा भुगतने को भी तैयार हूँ,
नज़र झुका कर क्यूं बैठी है तू ,
बेकरारी दिल की समझता हूँ मैं।
तेरे इश्क की कसम खाता हूँ,
तेरे आरोप को जितना चाहता हूँ,
डोली सज़ा के आना चाहता हूँ,
भले ही हथकड़ी सें बंध जाऊं मैं।
तुझे मेरी लैला बनाना चाहता हूँ,
महफ़िल इश्क की सजाना चाहता हूँ,
एतबार कर मेरे इश्क पे "मुरली"
इश्क का जाम छलकाऊंगा मैं।