कि तुम्हारी खुशबू को जबरन दफना रहा हूँ। कि तुम्हारी खुशबू को जबरन दफना रहा हूँ।
उसके बाद मैं खुद को अब रुलाने से रहा। उसके बाद मैं खुद को अब रुलाने से रहा।
भारत माँ अलग हो रही है जाती धर्म भेद को देखते ही देखते। भारत माँ अलग हो रही है जाती धर्म भेद को देखते ही देखते।
मिट्टी की धरा पर ही, क्योंकि वह हमारी भूख नहीं मिटा पा रही। मिट्टी की धरा पर ही, क्योंकि वह हमारी भूख नहीं मिटा पा रही।
कुछ इस तरह से पास से दूर जा रहे ये बदलते रिश्ते। कुछ इस तरह से पास से दूर जा रहे ये बदलते रिश्ते।
नारी के जो भी दोषी हैं आरोप सभी पर, ठहराओ। नारी के जो भी दोषी हैं आरोप सभी पर, ठहराओ।