बिन बुलाए मेहमान
बिन बुलाए मेहमान
रिश्तेदारों का आना अजब है ,
ये बिन बुलाए मेहमान गज़ब है।
जब भी आते हाथों में लिए मिठाई बताशे
घर में देख इनकी धूम गजब है ,
बिना बात के शोर मचाना, हो हल्ला कर अपनत्व का एहसास जगाना,
ये मेहमान अजब है।
रोज रोज नए पकवान बनते खाते मीठे खट्टे तीखे पर ये यह मेहमान गजब है।
घर में कैसी धूम मची है बच्चे बूढ़े सभी खुशी हैं
घर में ऐसा माहौल बना है लगता जैसे कोई त्यौहार लगा है,
होली हो या हो दीवाली मेहमानों का आना जाना लगे जैसे है सजी हो कोई दीवाली,
मेहमानों के आते बनते पकवान गजब गजब के है,
कहीं रस में डूबे रसगुल्ले हैं तो कभी छनते पकोड़े जी देख देख ललचाता,
मां ने कही है छौंका लगाया महक उठा सारा घर मेरा ,
जाने को हुए तैयार आज मेहमान फिर न जाने फिर कब आएंगे,
रहता है इंतजार हमेशा कब ये अपनों वाले त्यौहार आएंगे।