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कवि धरम सिंह मालवीय

Drama

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कवि धरम सिंह मालवीय

Drama

सहर कब हुई औऱ दिन कब ढला  हैं

सहर कब हुई औऱ दिन कब ढला  हैं

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सहर कब हुई और दिन कब ढला हैं

तेरी याद में कुछ पता कब चला हैं


हमेशा तुझे याद करते रहे हम

तुझे याद रखना बड़ी ये कला हैं


जहाँ को भुलाया तुझे याद करके

मुहब्बत लगें यार कोई बला है


हवा नफरतों की यहाँ कब चलेगी

चरागे मुहब्बत यहाँ पर जला हैं


सभी दर्द देते हैं अपने पराये

 धरम तू यहाँ पर सभी को खला हैं



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