शुभ लक्ष्मी
शुभ लक्ष्मी
बहु लार्किनी पर घर आई
रख्यो सदा पलक की नई
आज सुसज्जित तन मन से
रखे पद लक्ष्मी बन के
सुख समृद्धि को संग लाए
सुहाग के सौभाग्य का त्योहार बनाए
सजा रहे सिंदूर प्रीत का
सदा बढ़ता प्यार रहे
कण कण से सुख आए
और क्षण क्षण साथ का आशीष रहे
शीश पर शोभित रहे सदा नाम प्रेम की
बिंदी
शुभता का प्रतीक रहे
सुख की साक्षी
स्मृति बने सदा प्रेम की
रूप का मान बढ़ाया
जैसे विश्वास का धागा
प्रेम मोतियों को बाध्य रखे
मांगलसूत वचनों का
सात कदमों से
सात जन्मों के
साथ का वादा रहे
कंगन की खन खन
में हो खुशियों की धुन
छन छन बजाती नुपुर
भरे प्रेम के रंग
बिछिया कहे भरोसा
रिश्ते की नींव है
16 श्रृंगार 7 वचन सब कहें
अमर अतुल्य प्रेम की प्रीत है
रहे आशीष सदा प्रेम पर
सुहाग का साथ हो
अर्धांग अर्धांगिनी सदा एक ही भाग हों।