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Uddipta Chaudhury

Drama Others

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Uddipta Chaudhury

Drama Others

इंतजार कब तक

इंतजार कब तक

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यूँ ही न बातों बातों में दीया जलाया करो, आंखों में चुभती है,

बर्दाश्त नहीं होता आब ए रोशनी, हमें अंधेरे में जीने की आदत है।


दिल के पैगाम सतरंगी मंच पर जब बिजली की तरह बरस पड़ती है,

छुपे हुए अफसाने एक बार फिर से जाग उठती है।

हमें यूँ ही न तड़पाया करो, मत देखो हमें उन प्यारी नजरों से,

दिल का नजराना पेश करने की कीमत हमें मालूम नहीं।

मत पूछो हमसे के हमने क्या क्या झेले हैं,

वक्त के साथ साथ जख्म भी सूख गए हैं अब मत छेड़ो उन्हें, दर्द होता है।


खुशियों का लिबास पहनकर बैठा हूं अपने ही जनाजे में मातम मानने के लिए,

हमें यहाँ से निकालो मत, हमें आदत है।

चाहे लाख कोसो हमें, चाहे कहो भला बुरा,

हमें कोई फर्क नहीं पड़ता क्यों की ए जिंदगी तो उन बेवफाओं की देन है।

इंतजार है तो बस उस समय का जब फिर से एक बार बिजली कड़केगा

और तूफान की तरह मौत हमें निगल जाएगा,

कब्र में लेटकर वक्त मिलेगा फिर से एक बार जीने का,

फिर से एक बार सोचने का के मैंने क्या खोए है और क्या पाया है।

दूर चली जाओ ए हुस्न मल्लिकाएं, हमें किसी की कद्र करने की आदत नहीं।


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