ए मेरे सनम
ए मेरे सनम
खामोशियां चुपके से कानो में कुछ कहने लगी,
बेखुदी में भी ए दिल गुनगुनाने लगा,
मोहब्बत की जनाजे में यादों का अफसाना,
कुछ दिलकश बातें,कुछ अधूरे मुलाकातें
जिंदगी के कंधे पर सवार होकर चल परे थे हम भी उस अनजान मंजिल की और जहा चारो तरफ सन्नाटा छाया हुआ था,
नंगे बदन पर खून की छींटे,टुकड़ों में बांट दिया गया था हमे फिर भी ए दिल बेखबर,
एक छोटी सी गुजारिश आज भी है हमे,बस आप मिल जाओ तो इस जमाने को ही जीत लूंगा ।
मकम्मल आशिकी में डूबे हुए हैं हम,अब इंतजार किस बात का,
आओ ओर मेरे बाहों में समा जाओ।

