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Uddipta Chaudhury

Inspirational

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Uddipta Chaudhury

Inspirational

चलो उड़ान भरे

चलो उड़ान भरे

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मुसाफिर हैं हम ,इस दलदल से निकले आखरी चीख हैं हम।

जिंदगी के किस्सों में हजारों रिश्ते नाते हमे ए समझते हुए आए के इस दुनिया में कोई भी अपना नही,

सतरंगी खयालों में डूबा हर शाम अपनी नजर फैलते हुए ढूंढती रहती है दिल की मंजर,

खौफ से लरखराती जुबां आज खामोश,बेदर्दी एहसासों में दर्द की एक झलक दिखाई दी तो कम्बक्त मौत के इंतजार में रो परे,

शायद सफेदी की चादर ओढ़ कर काले धब्बे त्यार थे के कब वो सुनापन यादों के साहारे फिर से जिंदा हो जाए,

लिखे गए हर शब्द आज बेनामी दस्तक देकर हमसे पूछते रहते हैं के जिंदगी से हमने क्या उपलब्धि हासिल की ,पर हमे देखलो,

हमे तो बस बैचेनी के साथ जीना मंजूर था,इसी लिए हर आंखिदेखी बातो पर विश्वास अटूट रहा।

चलो अब बस भी करो,आज सामने आए हैं वो सच्चाई जिसे हम झुटला नही सकते,

चलो अपने पंख फैलाओ, उन ऊंची चट्टानों के बीच का दायरा पार करो।

याद करो उन लंबा जो तुम्हे कभी जीने का आश्वासन दिया था,

मत रहो उन पिंजरे में कैद, तोड़ दो वो लोहे की जंजीर जो तुमसे तुम्हारी स्वाधीनता छिन रही है,

ढूंढो अपने मंजिल को, पाओगे एक दिन तुम्हारे जैसे न जाने कितने हजारों पवित्र आत्मा मुक्त हो चुके है जिन्होंने इस समाज के कायदे कानून को कभी ठुकराया था।

चाहिए एक नई दुनिया जिसमें तुम जैसे,हम जैसे हजारों लोग जो अंत में अपनी परछाई से रूबरू हुए हैं जो कभी हम से दूर हो गया था।


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