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Uddipta Chaudhury

Tragedy

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Uddipta Chaudhury

Tragedy

बेवफा

बेवफा

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मोहब्बत की गम में दिल हे बेजुबान।

आंखो की गहराई में डूबा हुआ ए जहां।

तपती धूप में खड़ी होकर आंसुओं से

नहाया है हम ने कही बार,


जिस्मानी आश्वासन आशिकी से हरा भरा,

बिखरे हुए पन्नो पर लिखा हुआ तेरा नाम,

दिल के आईने मे डूबा हर शाम।

चार कंधे पर सवार होकर चल दिए उस खाई की

और जहा मौत जाया नही जाता जनाब,


कोशिश हर बार फिर भी घने पेड़ के

छाँव तले बैठे हैं एक मुर्दा कंकाल,

हाथो में पकड़कर लाल गुलाप,

होंठो पर एक अजीब सी मुस्कान,


कानो में सरसराहट और दिल में

देहेशात की तूफान।

जिंदगी की मिट्टी सर आंखों पर

फिर भी खुसिसे पागल हुए थे हम,


बेवफाई की सतरंज में हम कहा तुम कहा।

जीत ओर हार के बीच का फासला

कौन तेय करेगा आखिर ? 

तुम ए फिर में,

दोनो ही तो थे इस खेल का बस एक किरदार,


खेलने वाले वो ऊपर बैठा है

लेकर समय का जाम,

वक्त आने पर पता चलता है कौन जीता

कौन हारा,किसने रचाई ए कहानी जिस के दिल की

चाबी खोलती है एक नया आयाम।


इतिहास रचा जाएगा हर बार,

खून से लिखा जायगा,

काजल की सुहाई से लिखा हुआ हर धुन है

जिंदगी के बेनाम लंबे की कद्रदान।


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