सर्दी की बारिश
सर्दी की बारिश
गुमसुम सी थी आज की सर्दी
न धूप थी न हवा थी
सर्दी की पहली बारिश
शायद बरसने को तैयार थी।
कुछ समय गुजरा कि
नटखट बूंदे सबको भिगोने को बेकरार थी
टिप-टिप करके बरसी बूंदे
शायद बादलों से इनकी टकरार थी।
बिना गरजे ये बादल
सिर्फ अंधेरा करने को तैयार थे
और ये रिमझिम सी बारिश
शायद गुमसुम मौसम बदलने को तैयार थी।
चाय की प्याली हाथ में लिए
बस पीने को हम तैयार थे
सर्दी की इस पहली बारिश में
शायद सभी पकौड़े खाने को तैयार थे।
सर्दी की पहली बारिश
शायद बरसने को तैयार थी।