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Gagandeep Singh Bharara

Drama Romance

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Gagandeep Singh Bharara

Drama Romance

डरता हूँ

डरता हूँ

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तुम्हारी व्यथा से अनजान नहीं,

बस कहने से थोड़ा डरता हूँ,


बहके कदम जो पहले से हैं,

उन्हें और बहलाने से डरता हूँ,


बहती जो तेरी निगाहों हैं,

उनमें डूब जाने से डरता हूँ,


बिखरी जो तेरी जुल्फें हैं,

उनको सहलाने से डरता हूँ,


इश्क की तेरी जो तासीर है,

उसमें समाने से डरता हूँ,


एक बहती नदिया सा दिल साफ़ है,

उसमें नाविक बनने से डरता हूँ,


जो यह अनजान डगर है,

उसमें आगे बढ़ने से डरता हूँ,


ये जो भूल भुलैया की दुनिया में,

वापिस ना आ पाने से डरता हूँ,


तुम्हारी व्यथा से अनजान नहीं,

बस तुम्हें समझाने से डरता हूँ।


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