STORYMIRROR

Goldi Mishra

Drama Romance

4  

Goldi Mishra

Drama Romance

सांझ

सांझ

1 min
404

सांझ और सहर,

भीगी भीगी हैं चारों पहर,........

गुज़रे हम तेरे शहर से,

रास्ते वो खोए से लगे हैं,

गूंजती हैं वहां तेरी यादें,

तेरी बातें,

सब से चुरा के,

तुझे दिल में बसा के,

मैं ले आई हूं राते सभी,

जिन रातों में नींद ना थी।


सांझ और सहर,

भीगी भीगी हैं चारों पहर,.........

आहिस्ता से जो हम बड़े हैं,

दूर खुद से हम हो चुके हैं,

बस में ना ये मन ना घड़ी हैं,

तू सुन ले बातें अन कही हैं,

सपनो का आशियां हो,

फूलों से वो रौशन हो,

बीते उम्र सारी वहीं,

कोई ख्वाहिश अब नहीं हैं,


सांझ और सहर,

भीगी भीगी हैं चारों पहर,............

ये नम आंखें सवालों से भरी हैं,

आस्मां के लिए ज़मीन गा उठी हैं,

भरके बाहों में तुमको ये कहना,

दूर होकर ना जीना,

एक तू ही हैं मेरा और नही कोई,

जो कहना था वो कहचुकी हूं,

अब फैसला सब तुझपे हैं,

तू भी कह दे जो तेरे दिल में हैं।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama