करने को अंकित कुछ अपने निशाँ आज क़लम पुनः मैं उठाता हूँ । करने को अंकित कुछ अपने निशाँ आज क़लम पुनः मैं उठाता हूँ ।
आहिस्ता आहिस्ता पहली दफा हमें भी इश्क हुआ। आहिस्ता आहिस्ता पहली दफा हमें भी इश्क हुआ।
फलक पे सितारों के संग ,तुझे याद किया .... यूँ ही सारी दुनिया ने ,हमे बदनाम किया। फलक पे सितारों के संग ,तुझे याद किया .... यूँ ही सारी दुनिया ने ,हमे बदनाम किया...
मेरे दिल का हर राज़ लेते हुए नील स्याह बन गिरते। मेरे दिल का हर राज़ लेते हुए नील स्याह बन गिरते।
बोलो तो हमारी संबध की व्याप्ति क्या केवल इन शब्दों तक है। बोलो तो हमारी संबध की व्याप्ति क्या केवल इन शब्दों तक है।