अभिव्यक्ति
अभिव्यक्ति
तुम्हारी मौन अभिव्यक्ति में ही
छिपा रहता है अनंत प्रेम
जिसे तुम व्यक्त तो करना चाहते हो
पर कुछ शब्दों की वाचालता में
लुप्त हो जातीं हैं वो भावनाएँ
जो पनपी थी तुम्हारे मूलाधार से
मेरे अनाहत में रचने के लिए
एक तृतीय ब्रह्मांड पर मेरे लिए
तृतीय ब्रह्मांड के बनने से
ज़्यादा जरूरी है तुम्हारे समस्त भावों का
शब्दों के आवश्यकता से मुक्त होना
बोलो तो हमारी संबध की
व्याप्ति क्या केवल इन शब्दों तक है।