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Swetapadma Mishra

Romance

4.5  

Swetapadma Mishra

Romance

अभिव्यक्ति

अभिव्यक्ति

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260


 तुम्हारी मौन अभिव्यक्ति में ही 

छिपा रहता है अनंत प्रेम 

जिसे तुम व्यक्त तो करना चाहते हो 

पर कुछ शब्दों की वाचालता में 


लुप्त हो जातीं हैं वो भावनाएँ 

जो पनपी थी तुम्हारे मूलाधार से

मेरे अनाहत में रचने के लिए 


एक तृतीय ब्रह्मांड पर मेरे लिए 

तृतीय ब्रह्मांड के बनने से 

ज़्यादा जरूरी है तुम्हारे समस्त भावों का 


शब्दों के आवश्यकता से मुक्त होना

बोलो तो हमारी संबध की 

व्याप्ति क्या केवल इन शब्दों तक है।


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