इश्क ~ए ~बीमारी
इश्क ~ए ~बीमारी
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फलक पे सितारों के संग ,
तुझे याद किया ....
यूँ ही सारी दुनिया ने ,
हमे बदनाम किया।
कोई चर्चा नहीं था ....
अपने इश्क का यहाँ ,
इन झुकती पलकों ने ,
कत्ल ~ ए ~ आम किया।
मैं तेरे इश्क की दीवानी ,
तेरे नाम को जपती रही ,
कब दुनिया वाले भाँप गए ,
मैं तो सिर्फ हँसती रही ।
ये इश्क छुपाये ना छुपा ,
हर भाव ने इसे बयाँ किया ,
कभी चलने तो कभी रुकने का ही ,
इन कदमों ने भी स्वागत किया।
एक चुप्पी भी इश्क में ,
हजार गुना भारी होगी ,
ज़माना देखकर बस ये कहेगा ,
ज़रूर इसे इश्क ~ए ~बीमारी होगी।।