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Dhanjibhai gadhiya "murali"

Drama Others

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Dhanjibhai gadhiya "murali"

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श्याम तेरी मुरली

श्याम तेरी मुरली

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श्याम तेरी मुरली मुझ को,

हर पल पागल बनाता है।

मुरली में तल्लीन बनाकर, 

भान-शान भुलाता है।...

तेरी मुरली दिन रात की,

निंदिया मेरी उड़ाता है।

धर बार छुड़ाकर मुझ को ,

बावरी बना के दौड़ाता है।...

मुरली की तानों से वृज़ की,

लता-पता लहराता है।

मोर, कोयल और पपिहरा को,

मधुर गान गवाता है।...

मुरली नाद से तीनों भुवन को,

तेरे इशारे पे नचाता है।

ध्यान में बैठे मुनी ज़नो का,

समाधि भंग करवाता है।..

शरद पूनम में मुरली बज़ा के, 

यमुना तट पे बुलाता है।

"मुरली" में तू तान छेड़कर,

रास में मुझ को नचाता है।...



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