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सोनी गुप्ता

Abstract Inspirational

4.8  

सोनी गुप्ता

Abstract Inspirational

नव प्रभात

नव प्रभात

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अंधकार संग ,आकाश में चमकते तारे भी चले गए

किरणों ने डेरा डाला और गिरि हिम-शिखर उठ गए

हिमालय के आंगन में उषा की लौ निरंतर छा रही है

नवोदित हुआ सूर्य, सुप्रभात मंद- मंद मुस्कुरा रही है II


सूर्य की किरणों से जीवन में नव प्रकाश उदय हुआ

आकाश में चहुँ ओर, सूर्य की लालिमा शरमा रही है

ओस -कण जल से पल्लवित हुई घास ठिठरती हुई

वन- उपवन में चमचमाती मोतियों से बिखर रही हैII


मंद -मंद बहती सुरभित हवा एक नया संदेश देकर

नई दिशा की ओर बढ़ने को प्रेरित सबको कर रही 

दूर शिखर पर कोकिल कूकती पक्षी चहचहा रहे हैं

ऊंच रहे हम नींद से सूरज की किरणें हमें जगा रहीII


स्वप्न पलकों पर धरे और अंगड़ाई से ख्वाब छोड़ते

लग रहा भैरव की रागिनी रिसती कहीं से आ रही

लेकर प्रभु का नाम गुनगुनाता कोई भक्त जा रहा

हाथ जोड़ विनती मंदिर की घंटियाँ कोई बजा रहाII


चेतना की है किरण फूटी सबके हृदय की कोर में

नव स्वप्न हुए जागृत सबके सुनहले से इस भोर में

सस्य श्यामल इस धरती पर नव प्रकाश उदित हुआ

फूलों से महक उठा वन -उपवन भवरों के शोर में II


निज नीड़ में पंछी उड़ने को पंख यहाँ फड़फड़ा रहे

जैसे विकल मन में पड़े हुए उड़ने को वो अकुला रहे

किरण फूट पड़ी आलस छोड़कर अब तो उठ जाओ

जीवन में आगे बढ़ने का एक नव संदेश सबको दे रहेII


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