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anu harbola

Abstract

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anu harbola

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औरत ही जानती है

औरत ही जानती है

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खुशनसीब हैं वो औरतें जिन्हें

घर पर मिलता है सम्मान ?

संभालती हैं घर और दफ़्तर पाती है

औहदेऔर एक मुकाम,


पर घर पर सम्मान ?

ये सिर्फ़ वो औरत ही जानती है।

भेद चुकी हैं अंतरिक्ष तक, 

लगी हैं सीमा पर देश की रक्षा में,


पर उनके सम्मान की रक्षा ?

ये सिर्फ वो औरत ही जानती है।

कभी बेटी कभी माँ बन, करती हैं 

अपने कर्तव्यों का निर्वहन ठान के


गर छूट जाए कोई एक भी काम उनसे,

तो अपमानित होती हैं कभी घर के

कभी समाज के ठेकेदारों से,

कहने को तो बढ़ ही रहा है ज़माना,

पर कितना ? ये सिर्फ़ वो औरत ही जानती है।


दुनिया कहती है एक अलग सा फ़साना,

महिलाओं को उनका सम्मान है दिलाना पर

कितनी सच्चाई है बातों में ज़माने की ? 

ये सिर्फ वो औरत ही जानती है।


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