STORYMIRROR

स्त्री

स्त्री

1 min
301


मैं अद्वितीय

मैं अदिति

मैं ज्ञान की पराकाष्ठा

मैं उत्कृष्ट

मैं सर्वश्रेष्ठ,


मैं सर्वजन्य

मैं अति लघुगात

मैं शीतलता व्याप्त

मैं असीमित

मैं सीमित,


मैं भावनाओं का संचार

मैं नित नूतन विचार

मैं अतिकुलीन

मैं सर्वलीन

मैं अति उत्तम उदाहरण,


मैं सर्वाधिक साधारण

मैं वैदेही

मैं द्रोपदी

मैं राधा,

मैं रुक्मणि,


मैं मीरा

मैं हीरा

मैं अहिल्या

मैं धैर्य का पर्याय

मैं सर्वव्याप्त,


मैं अतिसाधारण

मैं असाधारण

मैं बेटी,

मैं बहन

मैं पत्नी

मैं माँ,


मैं धरती

मैं संसार

मैं देश

मैं देश-प्रेम

मैं ब्रह्माण्ड,


मैं एक स्त्री

मै सिर्फ और सिर्फ स्त्री...।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama