Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

DR SURESH SINGH YADAV

Abstract

4  

DR SURESH SINGH YADAV

Abstract

फौजी (सैनिक) का ख्याल

फौजी (सैनिक) का ख्याल

1 min
212


ये सोच-सोच कर ही, हर कदम, रखता हूँ।

फौजी हूँ, सीमा पर, मरने का दम रखता हूँ।।


खुली हवा में, सांस लेता जरूर हूँ, मगर।

हौंसला भी कुर्बानी का, मैं हर पल रखता हूँ।।


कभी सोचना पल दो पल, तुम भी इस मंजर को।

अपनो को छोड़ कैसे, वतन की हिफाजत रखता हूँ।।


माँ बाप, बीबी, बच्चे, मेरे भी तो है जरूर।

पर वतन की खातिर, मैं उन्हें भी परे रखता हूँ।।


आसां नहीं हैं, कुर्बानी का, जरा सा भी ख्याल।

वतन से मोहब्बत का रिष्ता, फिर भी रखता हूँ।।


जो गोली लगे सीने पर, तो याद करना जरूर।

मिले वतन की मिट्टी में मिट्टी में, ये ख्याल रखता हूँ।।


भूल मत जाना, मेरी सदा, आयेगी जरूर।

बस याद कर लेना, कभी-कभी, ये ख्याल रखता हूँ।।


फक्र है चुकाया, वतन का कर्ज, कुछ इस तरह।

खुष रहना तुम सदा, दिल में, ये ख्याल रखता हूँ।।


मर कर भी गूँजेगी, मेरी षहादत की षहनाई।

बना हूँ दूल्हा मैं फिर से, ये ख्याल रखता हूँ।।


बिना कुर्बानी, हिफाजत, वतन, की हो नहीं सकती।

सियासत समझेगी क्या-क्या, ये ख्याल रखता हूँ।।


दुआ है मेरी गाओ नग्में, बस मोहब्बत के तुम।

मुझे मिलेगा सुकून बाद में, ये ख्याल रखता हूँ।।


‘सुबोध‘ को आया ख्याल, ये मेहरबानी है उसकी।

कि मेरा भी है कोई, फौजी अपना, ये ख्याल रखता हूँ।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract