मेरे हिन्दोस्तान में
मेरे हिन्दोस्तान में
शूरवीरों की कमी नहीं है, मेरे हिन्दोस्तान में।
पर भाटों की, भी, कमी नहीं है, मेरे हिन्दोस्तान में।।
राणा प्रताप की अमर कहानी अब तो केवल पन्नों में।
जयचंदों की भी, कमी नहीं है, मेरे हिन्दोस्तान में।।
महिमा मंडन ऐसे करते, जैसे है भगवान वो।
लातों के भूत की भी, कमी नहीं है, मेरे हिन्दोस्तान में।।
हिन्दू मुस्लिम को लड़वाते, जैसे फिरंगियों ने लड़वाया।
उस पर फिर ये सियासत करते, मेरे हिन्दोस्तान में।।
मंदिरों को जरिया बनाते, और, जेब अपनी ये भरते।
फोकट में फिर ये खूब खाते, मेरे हिन्दोस्तान में।।
मुफ्त में मिले जमीन इनको, पैसा भी, सम्मान भी।
भगवान भी तो जेब में रहे, मेरे हिन्दोस्तान में।।
नीति तो कुछ हैं नहीं, जो बोलूँ, सब, वो ही है।
पिछलग्गुयों की कमी नहीं है, मेरे हिन्दोस्तान में।।
हर घाट पर, ये रहे, नाम सहित, श्मशान में।
फिर बतायें ये मोक्ष की बातें, मेरे हिन्दोस्तान में।।
नकली, ढोंगी, पाखंडी है, इनके रूप अनेक।
आतंकवाद की, दे दुहाई, मेरे हिन्दोस्तान में।।
घोर मिलावटी इनके, जो कल के, शरणार्थी थे।
अब इनके ही टकसाली है, मेरे हिन्दोस्तान में।।
मीठी छुरी, मीठी वाणी, के, ठेकेदार इनके है।
सारा देष, बपौती इनकी, मेरे हिन्दोस्तान में।।
इनकी बातें ब्रह्म वाक्य, सारे ग्रन्थ विरासत इनकी।
तो कृष्ण की गीता, यादव की है, मेरे हिन्दोस्तान में।।
उसके आग पानी भरें सब उसको नहीं ये गाते है।
अजब-अजब से सूस्त्र निकालें, मेरे हिन्दोस्तान में।।
जो इनकी बातों में आयें हो नरक में वासा उसका।
प्रभू शरण ही सबसे बड़ी है, मेरे हिन्दोस्तान में।।
सुबोध ने लिखी हैं, ये बातें, अपनी आँखें खोलकर।
तुम सब भी अपनी-अपनी आँखें खोलो, मेरे हिन्दोस्तान में ।।