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मिली साहा

Abstract

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मिली साहा

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जल ही जीवन है

जल ही जीवन है

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जल ही है हमारे जीवन का आधार

फिर भी हम व्यर्थ जल को बहाते हैं

जीवन हमारा संभव नहीं जल बिना

क्यों नहीं ये बात हम समझ पाते हैं


बढ़ता जा रहा प्रतिदिन जनसंख्या का भार

धरा पर संचित जल का कम हो रहा भंडार


आज हम सब को लेना होगा प्रण

जल को हम व्यर्थ में नहीं बहाएंगे

जल है इस धरा का अनमोल रत्न

हम एक एक बूंद कर इसे बचाएंगे


जल ना होता धरती पर तो जीव कहां होते

ना होती हरियाली और ना अन्न ही उग पाते


नहीं बचाएंगे आज यदि हम जल 

तो वह जल्दी ही खत्म हो जाएगा

फिर जल बिना यह जीवन हमारा

सोचकर तो देखो क्या चल पाएगा 


जल से ही इस धरती पर सब कुछ है संभव 

जीवन का पोषण जल के बिना है असम्भव


जल ना होगा अगर इस धरती पर

खेत हो जाएंगे हमारे सारे वीरान

हर तरफ बस उड़ेगी धूल ही धूल 

और धरती बन जाएगी रेगिस्तान


अगर होगा धरा पर यूं ही जल का नुकसान

तो एक दिन मिट जाएगी जल की पहचान


अगर चाहते हो धरा पर हरियाली  

जल का हमें करना होगा संरक्षण

सोच कर आने वाले कल के लिए

आवश्यकताओं पर करो नियंत्रण


आओ सब मिलकर इस पर हम करें विचार

संरक्षित करें जल यह है जीवन का आधार।


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