नश्वर देह
नश्वर देह


देह नश्वर है आत्मा अजर अमर है
कर्मों की स्याही से लिख ईश्वर के
कागज पर फिर काहे का डर है।
ये विश्वास है कि तू सदैव साथ है
आत्मा का तो वही अपना पहले
वाला चिर परिचित अंदाज है।
देह के सुख की खातिर आत्मा
को पाप मे मत घोल खुद को तोल
जीवन मनुष्य का मिला है तो
तू साधारण नही है तेरा होना भी
इस भू पर अकारण नहीं है।
कृत्य ऐसा कर स्वर्ण अक्षर में
नाम तेरा आए कर्म की स्याही से
इतिहास के कागज पर तू छप जाए।
नभ मे जिस तरह टिमटिमाता है तारा
वैसा ही कुछ धरा पे अस्तित्व है तुम्हारा
चिंता मे व्यथ्ति हो इधर उधर मत डोल।
आत्मा की शुद्धि के लिए
तू कर्म की स्याही
ईश्वर के कागज पर घोल..।