नफरत...
नफरत...
अगर कराना है बरबाद हमें
तो मोहब्बत हमसे करोगे..
करोगे अगर नफरत
तो खुद ही बरबाद हो जाओगे..
उसूल जिंदगी का है हमारा
जीना है मोहब्बत में
मरना है मोहब्बत में
अपने पे उतर आये तो
मोहब्बत करने वालों के लिए
बरबाद भी हो जा जाना है मोहब्बत में...
नफरत करने वालों से जलन नहीं होती है...
बस उनकी नफरत हमारे
छुपे हुए चिंगारियों को आग में बदल देती है...
जब आग लग जाती है सीने में
तूफान भी आ जाता है..
आँधी बनकर रूह को एक एक कर नोचता है..
भड़के हुए शोलों को कौन बुझा पाता है?
बुझाना अगर चाहो तो गले लगाया करोगे..
अगर कराना है बरबाद हमें
तो मोहब्बत हमसे करोगे...