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Pankaj Upadhye

Romance

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Pankaj Upadhye

Romance

कदम कदम पर...

कदम कदम पर...

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कदम कदम पर तुम आतो हो नजर

संम्भलकर भी मे ना पाया संम्भल

चाहता हूँ में तुम्हें मैं इस कदर 

सम्भालो मुझे ए मेरे हमसफर..


तुह्मरी चाहतो का ही है ये असर

तुह्मीसे ही मै हु और तुह्मारा ही असर

जबतलक देखु जहॉं जाती है नजर

तुम ही तुम समाते हो हर कदम हर मंजर

तुम से ही सॉंसें है और तुम से ही मेरी चाहत


चाहत को ना ठुकरा मेरी राहगुजर

चाहता हु तुह्मे हर कदम हर मंजर

कभी जाना नही प्यार मेरा ठुकराकर

जिंदा रहकरभी मै हो जाउंगा पथ्थर..

दील बॉंगबां नही हो जायेगा मेरा बंजर..


कदम कदम पर तुम आतो हो नजर

संम्भलकर भी मे ना पाया संम्भल

चाहता हु मे तुम्हे मै ईस कदर 

सम्भालो मुझे ए मेरे हमसफर..


तेरी चाहत मे पागल प्यार का प्यासा काफीर

घुमे हर गली हर शहर

दिन है की रात धुप है की छॉंव

ना पता है खुदका उसे घुमै है दर बदर..

चाहत ही तुह्मारी चाहे हर प्रहर

तुम्हीको पुजे है तु प्यार कर या ना कर

तुही जिवन है उसका अपनाले इस कदर

हर युग हर जन्म तू ही रहै उसका हमसफर...


कदम कदम पर तुम आतो हो नजर

संम्भलकर भी मे ना पाया संम्भल

चाहता हूँ मैं तुम्हें मैं इस कदर 

सम्भालो मुझे ए मेरे हमसफर..


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