ईजहार....
ईजहार....
करना था ईजहार प्यार का
कुदरत को ना रास आया
मेरे ईजहार करनेसे पहले
उसका ईनकार ही पहले आया
पता था मुछे गलत था मै पर
पर क्या करे दोस्तो दिल फुट फुट कर रोया
सलामत रखे भगवान उनको
सलामत रहे उनकी हसीं
यही दिल में बस खयाल आया।
प्यार करना बसमें नहीं होता है
प्यार है बस हो जाता है
प्यार करने वालों का ही
हाल बुरा हो जाता है
भूल जाना गुस्ताखियों को हमारी
भूल जाना शायरी हमारी
समझ लेना एक दिन सपनेमें
ऐसा ही एक सपना आया
निंद खुली और सामने
फीरसें अपना अतित आया.
माफ कर देना हमे और भुल जाना
नगमें हमारी।
जो आपकी आंखों में एक ऑंसू लेकर आया।

