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Pankaj Upadhye

Romance

4  

Pankaj Upadhye

Romance

अजनबी

अजनबी

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तुम एक दिन आये मेरी जिंदगी में दोस्त बनकर राज करने लगे मेरे मन पर..

रोज थोड़ी थोड़ी बातें होती थी

रोज थोड़ी थोड़ी बातें होती थी

कब आदत में बदल गयी बाते

और तुम बदलकर रह गयी आदत बनकर...

बदलकर रह गयी आदत बनकर...


एक लम्हा बिताना है तुम्हारे साथ

जीना है उसको जिंदगी बनाकर...


तुम तो नहीं नसीब में पर उस लम्हे को ही रखूंगा मैं मन में सजाकर और संवारकर..


तुम्हें पाने की कोई उम्मीद तो नहीं पर

एक लम्हा ही दे दो ना मुझे ..

तुम्हारे ही जीवन से चुराकर...

तुम्हारे ही जीवन से चुराकर...

रखूंगा मैं उसे दिल में समेटकर..

मन में समाकर...

मन में समाकर...


प्यार हो गया हे तुमसे 

क्या ही करूँ इस कदर ....


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