STORYMIRROR

Abhilasha Chauhan

Tragedy

3  

Abhilasha Chauhan

Tragedy

नज़र-नज़र की बात

नज़र-नज़र की बात

1 min
199


नजरों ने बड़े-बड़े काम किए हैं,

कहीं मिले दिल कहीं कत्लेआम किए हैं।


नजर-नजर की बात बड़ी बात कह गई,

जुबां न कह सकी जज़्बात कह गई।


झुकी-झुकी नजर हया बन गई,

तिरछी हुई नजर तो अदा बन गई।


टेढ़ी नजर ने कई कहर ढा दिए,

कितने बसे हुए गुलशन उजाड़ दिए।


कोई एक नजर को तरसता रहा,

प्यार के लिए दिल तड़पता रहा।


पथराई नजर इंतजार करती रही,

पलकें बिछाए रास्ता देखती रही।


किसी पर नजरें मेहरबान जो हुईं,

जिंदगी खुशियों से गुलजार तो हुई।


नजर फेर कर जब चल दिया कोई,

दिल के हजार टुकड़े हुए नींद भी खोई।


होंठ जो न कह सके ,नजर कह गई,

प्यार,घृणा,दुश्मनी के बीज बो गई।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy