इंतजार
इंतजार
तुम्हारा मुझे इंतजार कराना
और मेरा तुम्हारे लिए वो इंतजार करतें रहना
एक आदत सी बन गई थी
हम जब भी मिलते तुम देर से आते
और में इधर उधर निगाहें फेरती की
कहीं कोई मुझे जान पहचान वाला ये ना पूछ ले
की किसका इंतजार है मुझे इतनी बेसबरी से
क्यों में हर पांच मिनट में मेरी घड़ी को देख रही
और जैसे भीड़ में खो गए बचे की तरह मां को ढूंढ रही
और देखो वो चंद मिनटों का इंतज़ार
आज महीनों से होकर साल में बदल गया
ना अब तुम आते हो ना आती है रात को नींद
आज भी में उस गली में जाने से डरती हूं
की कहां में तुम्हारा इंतज़ार फिर से करूं और तुम ना आओ तो
क्या कहूंगी में खुद को तब तो तुम आ जाया करते थे
देर सबेर पर अब ये इंतज़ार मुझे तुम्हारा और इंतज़ार करने नही दे रहा
अब तो शायद इंतज़ार को भी पता है की ये इंतज़ार ही मेरा सब कुछ हुआ।