शब्दों के मतलब
शब्दों के मतलब
कहते हैं कि आधे अधूरे मनसे किये गये काम कभी पूरे नहीं होते,
तो फिर स्त्रियों के लिऐ क्यों इन शब्दों के मतलब अलग होते?
वो तो छोड़ आतीं है अपना आधा मन अपने मायके में
फिर भी ससुराल को कैसे पूरे मन से अपना लेतीं?
कभी नहीं होता है जरा सा भी मन सुबह सबेरे उठने का
फिर भी सुबह की चाय से लेकर रात के खाने तक
कैसे सबकी फरमाइशें खुश होकर पूरी कर देतीं?
छोड़ देतीं हैं अधूरा अपने पैरों पर खड़े होकर आत्मसम्मान से जीने के सपनों को पिता और भाइयों के कहने से,
छोड़ देतीं हैं अपने दिल का एक कोना किसी ऐसे के व्यक्ति के पास जिसे दोबारा देखना भी नहीं नसीब होता,
फिर भी खुद अधूरी होकर पूरे करतीं हैं वो अपने अपनों के सारे सपनों को
और बनकर मां कहलाती हैं संपूर्ण
क्योंकि एक स्त्री ही सारी कही बातों का मतलब बदलने में सक्षम होती है और शायद इसीलिए स्त्रियों के लिऐ हर कहे शब्द का मतलब अलग होता है।