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Lalita Vimee

Tragedy

4  

Lalita Vimee

Tragedy

बुद्ध

बुद्ध

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सब पाकर,सब भोगकर

तुम बुद्ध बन गए

सब खोकर सब लुटाकर

मैं बुद्ध को ना पा सकी।

 जिस सत्य को सोता छोड़

 तुम जीवन का सच

ढूंढ़ने निकल गए

पास खड़ी उस ज़िंदगी के मर्म

को मैं झुठला ना सकी।

जिन‌ अहसासों को वरकों में चिनवा,

तुम खुदा बन गए

ये अहसास मेरे थे,मेरे बहुत करीब

ये सच मैं किसी को बतला ना सकी।

तमाम दुनिया को मोहब्बत

सिखाने वाला,

किस तरह ख्वाबों ‌को‌ तोड़ गया, 

ये हकीकत मैं ज़माने को दिखला ना सकी

        

 



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