शब्द
शब्द
कैसे लिखूं कविता मैं,
मेरे शब्द लड़खड़ा जाते हैं।
मैं प्रीत लिखना चाहती हूँ,
वो विरह बन जाते हैं।
मैं देशप्रेम लिखती हूँ,
वो नारेबाजी कर हड़तालों पर जाते हैं।
मैं विश्वास लिखती चाहती हूँ,
वो बिल्कुल ही मिट जाते हैं।
मैं भाईचारा लिखती हूँ,
वो वैर भाव बन
जाते हैं।
मैं वृद्धावस्था लिखती हूँ,
वो वृद्धाश्रम पहुँच जाते हैं।
मैं जीवन पर कलम चलाती हूँ,
वो संघर्ष बन जाते हैं।
मैं वायदा लिखना चाहती हूँ
वो खुद ही टूट जाते हैं।
मेरे शब्द लड़खड़ा जाते हैं।
कैसे कविता लिखूं मैं?
